कभी सोचा है पूरे ट्रैक पर पत्थर होते हैं, मगर रेलवे स्टेशन पर नहीं? ये है इसका जवाब
जब हमे कही जाना होता है तो हमे ट्रेन का आप इस्तेमाल करना हि होता है जबकी हमारा रेलवे दुनिया का चौथा बड़ा रेल नेटवर्क है और इसमें छोटे बरे 8300 से भी ज़्यदा स्टेशन और होल्ट है ट्रेन से सफर करने के दौरान हम छोटे बरे स्टेशनों से हो कर गुजरते है पर आपने ध्यान दिया हो तो बरे स्टेशनों पर कंक्रिथ मे सेट हो कर लगता है लेकिन छोटे स्टेशनों या रास्ते मे पत्थर के छोटे छोटे तुक्करे होते है पर ऐसा क्यू होता है कभी सोचे है
पटारियों पर पत्थर क्यो होते है
आइये समझते है की पटारियों पर पत्थर क्यू होते है ट्रैक पर बिछे इस पत्थर को बैलेस्ट कहा जाता है जब ट्रेन चलती है तो ट्रेन बहुत हि वजनी होती है और काफी तेज गति से चलती है तो पत्थर आवाज को कम करती है और स्लेपर को फलने से रोकती है तथा बारिश के दिनों मे पटारियों पर पानी भी नही लगती, घास जंगल भी नही उग पटा है
बरे स्टेशनों पर कन्क्रित क्यू होते है
बरे सटेशनों सीमेंट और कन्क्रित से ट्रैक बनते है क्यूकि पहले icf कॉच मे डिस्पर्सेबल टॉयलेट होती थी और बरे सटेशनों पर गड़िया ज़्यदा देर तक भी खरी होती है तो पटरी गंदी हो जाति है और उसे पानी के द्वारा हटाया जाता है जब पत्थर होते तो यह गंदगी नही हट पाती और यात्रियों को परेशानी होती इस लिए हलाकि अब रेलवे ने बायो टॉयलेट कर दिया है
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